Dowry system: दहेज़ प्रथा एक अभिशाप और कुरीति – Dowry system is a Curse or Evil ?

दहेज प्रथा : विवाह का रिवाज Dowry system: custom of marriage

आज दुनिया इतनी आगे निकल चुकी हैं हर चीज़ का विकास (Development) हो रहा हैं पर अगर अभी भी कुछ नही बदला हिं तो वो हैं दहेज़ प्रथा हैं की घटिया सोच और रिवाज़, जो दीमक की रफ़्तार (Termite speed) से बस फ़ैल ही रहा हैं वक़्त के साथ l जब दुल्हे वालो की ओर से दुल्हन वालो को विवाह करने के लिए किसी भी प्रकार की रुपयों, गाड़ी, सामान अन्य विलासता (Luxury) की वस्तुएं मांगना दहेज प्रथा के अंतर्गत (Under) आता है।

भारतीय कानून के तहत अपराध Offenses under Indian law

Dowry system: custom of marriage
Dowry system: custom of marriage

दहेज लेना और देना दोनों भारतीय कानून के तहत अपराध की श्रेणी (Crime category) में आता है। पुरुष प्रधान (male dominated) देश होने के कारण हमारे देश में महिलाओं का शोषण (Exploitation of women) किया जाता है। उसी शोषण का दहेज प्रथा एक रुप है। दहेज लेना लोगों में एक गर्व का विषय बन चुका है, वह सोचते है कि अगर हम ने दहेज नहीं लिया तो समाज में हमारी कोई इज्जत (respect) नहीं रह जाएगी। इसलिए लड़के वाले लड़कियों से जितनी ज्यादा हो सके उतनी दहेज की मांग करते है। पुराने रीति रिवाजों की ढाल (shield) लेकर इसे एक विवाह का रिवाज बना दिया गया है जिसे भारत के हर वर्ग ने अच्छी तरह से अपना लिया है।

दुल्हन पर अत्याचार Bride tortured

इसके खिलाफ ना तो कोई बोलना चाहता है ना ही कोई सुनना चाहता है क्योंकि इसमें सब अपना – अपना स्वार्थ देखते है। दहेज प्रथा नहीं लोगों की सोच को इतना खोखला (Hollow) कर दिया है कि अगर उनको दहेज नहीं मिलता है तो वह शादी करने से इनकार कर देते है और अगर कुछ लोग शादी कर भी लेते है तो फिर दहेज के लिए दुल्हन पर अत्याचार करते है उसका शोषण (exploitation) करते है जिसके कारण (cause) उसके मां-बाप मजबूर होकर दहेज देने को तैयार हो जाते है। दहेज लेने के वर्तमान में नए आयाम भी बना दिए गए है जिसके अनुसार दूल्हे की आय जितनी अधिक होगी उसको उतना ही अधिक दहेज मिलेगा। दहेज प्रथा मध्यम वर्गीय लोगों में आजकल बहुत प्रचलित (vogue) हो गई है।

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दहेज प्रथा के कारण : Causes of Dowry System

पुराने रीति रिवाज (Old customs)

लोग दहेज लेने के लिए अब पुराने रीति रिवाजों (Customs) का सहारा लेते है और लड़की वालों से कहते है कि यह तो पुरानी परंपरा है आपको दहेज देना ही पड़ेगा। लेकिन अब उनको यह कौन समझाए कि पुराने समय में लोग अपनी इच्छा अनुसार उपहार दिया करते थे। लेकिन लोगों ने पुराने रीति रिवाजों को दहेज का चोला पहना करें अपना स्वार्थ (Selfishness) सिद्ध कर रहे है।

दहेज मान – सम्मान का विषय (Dowry values ​​- a matter of honor)

वर्तमान (Present) में दहेज को लोगों ने अपने मान सम्मान का विषय बना लिया है जिसको जितना ज्यादा दहेज मिलता है लोग उसका उतना ही सम्मान करते है जिसके कारण दहेज प्रथा को और बढ़ावा मिल रहा है। लोग सोचते है कि अगर उन्होंने दहेज नहीं लिया तो समाज में उनका कोई सम्मान नहीं करेगा उनकी कोई इज्जत नहीं रह जाएगी इसलिए वह लड़की वालों से दहेज के लिए विशेष मांग रखते है। अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो भी रिश्ता तोड़ देते है या फिर शादी होने के बाद लड़की को दहेज के लिए प्रताड़ित (Tortured) करते है।

अशिक्षित लड़कियां (Uneducated girls)

लड़कियों के शिक्षित होने के कारण उनकी शादी नहीं हो पाती है। इसलिए कुछ लोग अशिक्षित लड़कियों से शादी (Marry illiterate girls) करने के लिए तो तैयार हो जाते है लेकिन वह कहते है कि हम इसकी जिंदगी भर देखभाल (Care) करेंगे इसलिए हमें आप दहेज के रूप में कुछ सहायता प्रदान करें। वह सहायता के नाम पर अपनी लालच (greed) की अभिलाषा (desire) को पूरा करते है। ऐसे लोगों से बचकर रहना चाहिए क्योंकि यह लोग दहेज मिलने के बाद भी लड़कियों को प्रताड़ित करते रहते है।

पुरुष प्रधान समाज (Male dominated society)

भारत में पुरुष प्रधान समाज होने के कारण महिलाओं को अपनी बात रखने का कोई अधिकार नहीं होता है। जिसके कारण दहेज के लिए महिलाओं का शोषण होता है उन्हें मानसिक और शारीरिक (Mental and physical) रूप से प्रताड़ित किया जाता है। ताकि वे अपने घरवालों (Family members) से दहेज लेकर आए। महिलाओं को बचपन से ही यह समझा दिया जाता है कि पुरुषों की हर बात माननी चाहिए और उनका आदर सम्मान करना चाहिए इसी में उनकी भलाई है और यही उनका कर्तव्य (Obligation) है जिस कारण महिलाएं अपने आप को कमजोर मानती है। और इस दहेज रूपी महामारी का शिकार (Dowry epidemic victim) हो जाती है।

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सांवला रंग या अन्य कोई विकार (Dark color or any other disorder)

लोगों की मानसिकता (Mindset) का इसी से पता लगाया जा सकता है कि आपने अखबारों (newspapers) या इंटरनेट पर देखा होगा कि शादी के विज्ञापनों में लिखा होता है कि सुंदर लड़की या लड़का चाहिए इससे यह साफ जाहिर होता है कि लोग सुंदर लड़कियों से ही शादी करना पसंद करते है। जिसके कारण सांवला रंग (Dark color) या अन्य कोई विकार होने पर उस लड़की से कोई शादी नहीं करता है इसलिए उसके मां-बाप उसकी शादी करने के लिए दहेज की पेशकश करते है या फिर कई लोग लड़की शादी करने के लिए दहेज की विशेष मांग रख देते है। जिसके कारण दहेज प्रथा को बढ़ावा मिलता है।

दहेज प्रथा के खिलाफ कानून: Law against dowry

दहेज प्रथा भारतीय समाज में सबसे जघन्य सामाजिक व्यवस्थाओं में से एक है। इसने कन्या भ्रूण हत्या, बालिकाओं का परित्याग (Abandonment), बालिका के परिवार में आर्थिक समस्याओं (Economic problems), धन कमाने के अनुचित साधनों, बहू के भावनात्मक और शारीरिक शोषण (physical torture) जैसे कई मुद्दों को भी जन्म दिया है। इस समस्या पर अंकुश (Curb the problem) लगाने के लिए, सरकार ने दहेज को दंडनीय अधिनियम (Punishable act) बनाने वाले कानून बनाए हैं। यहाँ इन कानूनों पर एक विस्तृत नज़र है:

दहेज निषेध अधिनियम, 1961 (The Dowry Prohibition Act, 1961)

इस अधिनियम के माध्यम से दहेज देने और लेने की निगरानी के लिए एक कानूनी प्रणाली लागू की गई थी। इस अधिनियम के अनुसार, दहेज विनिमय की स्थिति में जुर्माना लगाया जाता है। सजा में न्यूनतम 5 साल की कैद और न्यूनतम 15,000 रुपये का जुर्माना या जो भी अधिक हो, के आधार पर दहेज की राशि शामिल है। दहेज की मांग भी उतनी ही दंडनीय है। दहेज के लिए कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष (Direct or indirect) मांग 6 महीने की कैद और INR 10,000 का जुर्माना हो सकता है।

घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 से महिलाओं का संरक्षण (Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005)

कई महिलाओं को उनके ससुराल वालों की दहेज की मांग को पूरा नहीं करने के लिए भावनात्मक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित Physical Tortured किया जाता है। इस तरह के दुरुपयोग के खिलाफ महिलाओं को सशक्त (Empower women) बनाने के लिए यह कानून लागू किया गया है। यह महिलाओं को घरेलू हिंसा Domestic violence से बचाता है। शारीरिक, भावनात्मक (Emotional), मौखिक, आर्थिक और यौन सहित सभी प्रकार के दुरुपयोग (Misuse) इस कानून के तहत दंडनीय (Punishable under law) हैं। विभिन्न प्रकार की सजा और दुरुपयोग की गंभीरता अलग-अलग होती है।

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दहेज प्रथा उन्मूलन के संभावित तरीके: Possible ways to eradicate dowry

सरकार द्वारा कानून लागू होने के बावजूद, समाज में दहेज प्रथा की आज भी मजबूत पकड़ है। इस समस्या के उन्मूलन (Elimination) के लिए यहां कुछ उपाय दिए गए हैं:

  • लैंगिक समानता (gender equality)- हमारे समाज के मूल में मौजूद लैंगिक (Sexual) असमानता (Inequality) दहेज प्रथा के मुख्य कारणों में से एक है। बहुत कम उम्र से, बच्चों को सिखाया जाना चाहिए कि पुरुषों और महिलाओं दोनों के समान अधिकार (equal rights) हैं और एक दूसरे से बेहतर नीच नहीं हैं। इसके अलावा इस मुद्दे को संवेदनशील (Sensitive) बनाने के लिए अभियान (campaign) चलाए जाने चाहिए और सरकार द्वारा निर्धारित कानूनों (Prescribed laws) को और अधिक कठोर (Harsh) बनाया जाना चाहिए।
  • शिक्षा (Education)- शिक्षा का अभाव दहेज प्रथा, जाति प्रथा और बाल श्रम जैसी सामाजिक प्रथाओं (social practices) में मुख्य योगदानकर्ताओं (Contributors) में से एक है। लोगों को तार्किक (Logical) और उचित सोच को बढ़ावा देने के लिए शिक्षित किया जाना चाहिए ताकि ऐसी बुरी प्रथाओं (Bad practices) को जन्म दिया जा सके।
  • महिला सशक्तीकरण (Women empowerment)- अपनी बेटियों के लिए एक अच्छी तरह से बसे हुए दूल्हे (groom) की तलाश करने और शादी में अपनी सारी बचत का निवेश (Saving investment) करने के बजाय, लोगों को बाद की शिक्षा पर खर्च (Spending on education) करना चाहिए और उसे आत्म निर्भर (self dependent) बनाना चाहिए। महिलाओं को अपनी शादी के बाद भी काम करना जारी रखना चाहिए और ससुराल की व्यंग्यात्मक टिप्पणियों (Sarcastic remarks) के आगे झुकने के बजाय उत्पादक (Manufacturer) चीजों पर अपनी ऊर्जा केंद्रित (Energy focused) करनी चाहिए। महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में भी जागरूक (Aware) किया जाना चाहिए और किसी भी तरह के दुर्व्यवहार (Misbehavior) से खुद को बचाने के लिए उनका उपयोग कैसे किया जा सकता है