दुकान पे जाने कि बजाये खुद लैपटॉप केसे बनाए – How to make laptop yourself instead of going to shop

किसी स्टोर से बना बनाया लैपटॉप खरीदने से कभी-कभी बहुत निराशा हो सकती है। अक्सर आपको जिन फ़ीचर्स (features) की आवश्यकता होती है, वे सभी एक कंप्यूटर में उपलब्ध नहीं होते हैं, और उसका दाम भी बहुत अधिक हो सकता है। और कंपनियाँ जो सॉफ्टवेयर उनमें घुसा देती हैं उनका तो ज़िक्र ही नहीं करें तभी अच्छा है। अगर आप अपने हाथों से थोड़ा बहुत काम करना चाहते हैं, तब आप इन सबको बाईपास (bypass) कर सकते हैं। अपना लैपटॉप बनाना एक चुनौती है, मगर इससे बहुत संतोष भी मिलता है। इसे सीखने के लिए इस गाइड को फॉलो (follow) करिए।

इसमें तीन विधी है – it has three methods

1.पार्ट्स खोजना
2. सबको साथ लगाना
3. उसे चालु करना

पार्ट्स खोजना – Finding Parts

1. तय करिए कि लैपटॉप का मुख्य उद्देश्य क्या होगा: वर्ड प्रोसेसिंग (word processing) करने और ईमेल देखने वाले लैपटॉप के स्पेसिफ़िकेशन (specification) उस लैपटॉप से फ़र्क होंगे जिसका इस्तेमाल लेटेस्ट (latest) गेम खेलने के लिए किया जाएगा। बैटरी के जीवनकाल का भी तब बहुत महत्व होगा; अगर आप बिना प्लग किए, उसे ले कर इधर उधर घूमना चाहेंगे, तब आपको ऐसा लैपटॉप चाहिए होगा जो बहुत पावर (power) का इस्तेमाल न करे।

2.ऐसा प्रोसेसर चुनिये, जो आपके कंप्यूटर की ज़रूरतों को पूरा कर सके: आपको प्रोसेसर के आधार पर ही शेल खरीदना होगा, इसलिए पहले प्रोसेसर चुनिये। कूलिंग (cooling) तथा पावर खपत की सबसे बढ़िया स्पीड से तुलना करते हुये प्रोसेसर मॉडेलों का आकलन करिए। अधिकांश प्रमुख ऑनलाइन विक्रेता आपको प्रोसेसरों को अगल-बगल में रख कर उनकी तुलना करने देंगे।
यह सुनिश्चित कर लीजिएगा कि आप मोबाइल प्रोसेसर ही खरीद रहे हों न कि डेस्कटॉप प्रोसेसर।
दो प्रमुख प्रोसेसर उत्पादक हैं: इंटेल और एएमडी। हालांकि दोनों के पक्ष और विपक्ष में अनेक तर्क दिये जा सकते हैं, मगर आम तौर पर एएमडी सस्ता होता है। अगर आप अपने पैसे की पूरी कीमत वसूल करना चाहते हों तब प्रोसेसर मॉडेलों के बारे में जितनी संभव हो उतनी रिसर्च कर लीजिये।

3. अपने नोटबुक का शेल चुनिये: नोटबुक शेल के आधार पर यह तय होगा कि आप लैपटॉप के बाकी पार्ट्स कौन से चुनेंगे। शेल में मदरबोर्ड पहले से जुड़ा होगा जिससे यह तय होगा कि आप कितनी मेमोरी का इस्तेमाल कर सकते हैं।

स्क्रीन के साइज़ तथा कीबोर्ड के लेआउट का भी ध्यान रखिएगा। चूंकि शेल का आकार आपकी पसंद के अनुसार बदला नहीं जा सकता, इसलिए जो कीबोर्ड और स्क्रीन साइज़ आप चुनेंगे आपको उसी से काम चलाना पड़ेगा। बड़े लैपटॉप को लेकर इधर-उधर घूमना मुश्किल होगा, और वह काफ़ी भारी भी होगा।
बिक्री के लिए उपलब्ध शेल्स को खोजना कठिन हो सकता है। उन शेल्स के विक्रेताओं की खोज करने के लिए अपनी पसंद के सर्च इंजन में “barebones notebook” या “whitebook shell” एंटर करिए। एमएसआई उन कुछ एक उत्पादकों में है जो अभी भी बेयरबोन लैपटॉप बनाते हैं।

4. मेमोरी खरीदिए: आपके लैपटॉप को काम करने के लिए मेमोरी की ज़रूरत होगी, और इस मेमोरी का फ़ारमैट डेस्कटॉप से फ़र्क होगा। SO-DIMM मेमोरी खोजिए जो कि आपके मदरबोर्ड के शेल के साथ काम करेगी। अधिक तेज़ मेमोरी आपको बेहतर परफ़ोर्मेंस (performance) देगी, मगर उससे बैटरी का जीवनकाल कम हो जाएगा।

रोज़मर्रा के सबसे बढ़िया परफ़ोर्मेंस के लिए 8 या 16 जीबी मेमोरी ले कर देखिये।
5. हार्ड ड्राइव चुनिये: डेस्कटॉप की 3.5” ड्राइव्स की जगह लैपटॉप्स में 2.5” ड्राइव इस्तेमाल होती है। आप स्टैंडर्ड 5400 आरपीएम या 7200 आरपीएम ड्राइव चुन सकते हैं, या उनकी जगह सॉलिड स्टेट ड्राइव (solid state drive) चुन सकते हैं जिसमें कोई भी मूविंग (moving) पार्ट नहीं होता है। सॉलिड स्टेट ड्राइव (एसएसडी) यूं तो तेज़ होंगी और उनमें कोई मूविंग पार्ट भी नहीं होगा, मगर उन्हें लंबे समय तक इस्तेमाल करने में परेशानी हो सकती है। अगर आपको ऐसा लैपटॉप चाहिए जिसे ले कर इधर-उधर जा सकें, तब सॉलिड स्टेट ड्राइव (एसएसडी) सबसे बढ़िया होगी, क्योंकि उसमें झटकों से उतना भौतिक नुकसान नहीं होगा जितना हार्ड डिस्क ड्राइव में होता है।

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ऐसी हार्ड ड्राइव लीजिये जिसमें वह सब हो सके जो आप अपने लैपटॉप में करना चाहते हैं। अधिकांश शेल्स में एक से अधिक ड्राइव लगाने की जगह नहीं होती है, इसलिए उसको बाद में अपग्रेड करना कठिन हो सकता है। यह ध्यान रखिएगा कि ऑपरेटिंग सिस्टम (आम तौर पर 15-20 जीबी) इन्स्टाल करने के बाद भी हार्ड ड्राइव पर पर्याप्त जगह बची रहे। आजकल, अधिकांश लोग, लैपटॉप के लिए 800 जीबी से 1.5 टीबी की रेंज चुनते हैं।

6. तय करिए कि क्या आपको डेडिकेटेड ग्राफ़िक्स कार्ड चाहिए (वैकल्पिक): सभी शेल्स में डेडिकेटेड ग्राफ़िक्स कार्ड फ़िट नहीं हो सकते हैं। उसकी जगह, ग्राफ़िक्स का ध्यान सीपीयू के इंटीग्रेटेड ग्राफ़िक्स यूनिट (integrated graphics unit) द्वारा रखा जाएगा। अगर आप डेडिकेटेड कार्ड इस्तेमाल कर सकते हैं, तब तय करिए कि क्या आपको उसकी ज़रूरत है। ये गेमर्स और ग्राफ़िक डिज़ाइनरों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

7. ऑप्टिकल ड्राइव खोजिए (वैकल्पिक): जैसे-जैसे कम्प्यूटरों में प्रगति हो रही है, यह एक वैकल्पिक चरण होता जा रहा है, चूंकि आप ऑपरेटिंग सिस्टमों को यूएसबी ड्राइव्स से इन्स्टाल कर सकते हैं और अधिकांश सॉफ्टवेयर डाउनलोड किए जा सकते हैं। अगर आप आज एक नया लैपटॉप खरीदेंगे, अधिकांश में ऑप्टिकल ड्राइव नहीं ही होते हैं, चूंकि डिस्क मेमोरी की जगह मेमोरी कार्ड्स और रिमूवेबल (removable) ड्राइव्स ने ले ली है।

कुछ शेल्स में पहले से ही ड्राइव्स शामिल होती हैं। सभी नोटबुक ड्राइव्स, सभी शेल्स में फ़िट नहीं बैठती हैं, इसलिए यह सुनिश्चित कर लीजिये कि आपने जो शेल चुनी है उसमें वह ड्राइव फ़िट हो सकती हो।
खरीदना है या नहीं, यह निर्णय करना आसान है। देखिये कि क्या आप अक्सर डिस्क मेमोरी का इस्तेमाल करते हैं। याद रखिए, कि आप बनी-बनाई ऑप्टिकल ड्राइव की जगह, बाह्य ऑप्टिकल ड्राइव का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

8. बैटरी चुनिये: आपको सही आकार वाली ऐसी बैटरी चुननी होगी जिसमें समरूप कनेक्टर हों (लैपटॉप बैटरियों में अनेक पिन होते हैं। बैटरी में आईसी होते हैं और आईसी कंप्यूटर को तापमान की सूचना देते हैं, और कंप्यूटर को बताते हैं कि बैटरी काम कर रही है अथवा नहीं कर रही है और उसे चार्ज नहीं किया जाना चाहिए, और साथ ही बैटरी का पर्सेंटेज भी बताते हैं।) अगर आप उसे लेकर अक्सर इधर-उधर घूमना चाहते हैं, तब लंबे जीवनकाल वाली बैटरी का इस्तेमाल करिए। खरीदने से पहले आप कई बैटरियाँ तो देखना ही चाहेंगे।

जिसके रिव्यू अच्छे हों, उसी को खरीदिए। इन बैटरियों के बारे में, ग्राहकों ने उनके इस्तेमाल संबंधी अपने अनुभवों को ले कर जो रिव्यू दिये हों, उनको पढ़िये।

सबको साथ लगाना – get everyone together

1. आवश्यक टूल्स (tools) लीजिये: आपको ज्वेलर्स पेचकसों के एक सेट की ज़रूरत पड़ेगी, अच्छा होगा अगर वे मैग्नेटिक हों। लैपटॉप के स्क्रू, डेस्कटॉप के स्क्रू की तुलना में काफ़ी छोटे होते हैं और उन पर काम करना कठिन होता है। क्रैक्स (cracks) में गिरे हुये स्क्रूज़ (screws) को उठाने के लिए एक नीडल-नोज़ प्लायर्स (needle-nose pliers) भी साथ में रखिए।
जब तक उनकी ज़रूरत न हो तब तक स्क्रूज़ को एक प्लास्टिक की थैली में रखिए। इससे उनके लुढ़कने और खो जाने का खतरा नहीं रहेगा।

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2. स्वयं को ग्राउंड (Ground) किए रहिए: लैपटॉप असेंबल (assemble) करने से पहले अपने को ग्राउंड कर लीजिये, क्योंकि इलेक्ट्रोस्टैटिक डिस्चार्ज (electrostatic discharge) से आपके कंप्यूटर के हिस्से बहुत जल्दी खराब हो सकते हैं। कोई भी एंटीस्टैटिक रिस्टबैंड (antistatic wristband) आपको ग्राउंड किए रहेगा और वे सस्ते मिल भी जाते हैं।

3. शेल को उल्टा कर दीजिये ताकि बॉटम ऊपर की ओर रहे: आप मदरबोर्ड तक यूनिट के पीछे से अनेक हटाई जा सकने वाली प्लेटों से हो कर पहुंचेंगे।

4. ड्राइव बे (bay) को कवर करने वाला पैनल हटाइए: यह पैनल उस 2.5” की बे को कवर किए रहता है, जहां आपकी हार्ड ड्राइव रहेगी। इसकी लोकेशन शेल के आधार पर बदल सकती है, मगर सामान्यतः बे लैपटॉप में आगे की तरफ लोकेटेड होती है।

5. हार्ड ड्राइव को ब्रैकेट (bracket) में लगाइये: अधिकांश नोटबुक्स में हार्ड ड्राइव को ब्रैकेट पर माउंट किया जाना होता है, जो ड्राइव के चारों ओर फ़िट होता है। चार स्क्रूज़ का इस्तेमाल करके यह सुनिश्चित करिए कि हार्ड ड्राइव ब्रैकेट में कस दी जाये। स्क्रू के छेद आम तौर पर यह सुनिश्चित करेंगे कि आपने उसे सही दिशा में इन्स्टाल किया हो।

6. ब्रैकेटेड (bracketed) हार्ड ड्राइव को बे में खिसका दीजिये: ड्राइव को बैठाने के लिए पर्याप्त दबाव डालने को ग्रिप टेप का इस्तेमाल करिए। जब ड्राइव अपनी जगह पहुँच जाएगी तब आधिकांश ब्रैकेट दो स्क्रू होल्स (screw holes) के साथ लाइन अप (line up) हो जाएँगे। ड्राइव को बैठाने के लिए स्क्रू लगा दीजिये।

7. ऑप्टिकल ड्राइव इन्स्टाल करिए: आपके शेल के आधार पर तरीका फ़र्क-फ़र्क हो सकता है, मगर आम तौर पर इनको बे ओपनिंग (opening) में सामने से डाला जाता है, और वे एसएटीए कनेक्टर्स (SATA connectors) में स्लाइड (slide) कर जाते हैं।

8. मदरबोर्ड को कवर करने वाले पैनल को हटाइए: अधिक संभावना यही है कि हार्ड ड्राइव के पैनल को निकालने की तुलना में, इस पैनल को निकालना अधिक कठिन होगा। सभी स्क्रूज़ को निकालने के बाद, हो सकता है कि आपको इसे ज़ोर लगा कर खोलना पड़े।

9. मेमोरी को इन्स्टाल करिए: जब पैनल खुल जाएगा तब आपको मदरबोर्ड और मेमोरी स्लॉट्स तक पहुँचना होगा। एसओ-डीआईएमएम (SO-DIMM) चिप्स को उनके स्लॉट में टेढ़ा करके डालिए, और फिर उनको नीचे को दबाइए, ताकि वे क्लिक करके अपनी जगह पर बैठ जाएँ। मेमोरी स्टिक्स केवल एक दिशा में ही इनस्टाल की जा सकती हैं, इसलिए उनको दबा कर अंदर घुसाने की कोशिश मत करिएगा।

10. सीपीयू को इन्स्टाल करिए: जहां सीपीयू इन्स्टाल किया जाना है वहाँ सॉकेट के इर्दगिर्द एक सीपीयू लॉक हो सकता है। इसको घुमा कर “अनलॉक्ड (unlocked)” स्थिति में लाने के लिए शायद आपको एक फ़्लैट हेड (flat head) पेचकस की ज़रूरत हो सकती है।

सीपीयू को उल्टा कर लीजिये ताकि आपको उसके पिन दिखाई दे सकें। एक कोना ऐसा होना चाहिए जिसमें पिन्स नहीं होंगे। यह नौच (notch), सॉकेट की नौच से लाइन अप होगी।
सीपीयू सॉकेट से केवल एक तरीके से फ़िट हो सकता है। अगर सीपीयू अपने आप नहीं बैठता है, तब ज़ोर मत लगाइएगा, वरना आप उसके पिनों को टेढ़ा कर देंगे, जिससे प्रोसेसर बरबाद हो जाएगा।
जब एक बार सीपीयू को अंदर घुसा दें उसके बाद, सीपीयू लॉक को “लॉक्ड” पोजीशन में कर दीजिये।

11. कूलिंग पंखे को इन्स्टाल करिए (अधिकांश लैपटॉप्स में सेंट्रीफ़्यूगल पंखे इस्तेमाल होते हैं): यह पंखा या तो सीपीयू को ठंडा करता है या सीपीयू तथा अनेक अन्य हिस्सों को। आपको सीपीयू को कूलिंग पंखे के साथ ही आना चाहिए। अधिकांश पंखों में बॉटम में उस जगह थर्मल पेस्ट (thermal paste) पहले से ही लगा होगा जहां वे सीपीयू से कनेक्ट होते हैं। अगर पंखे में पेस्ट नहीं लगा हो, तब पंखे को इन्स्टाल करने से पहले आपको उस जगह पेस्ट लगाना होगा।

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पेस्ट लगाने के बाद आप पंखे को इन्स्टाल कर सकते हैं। एक्सॉस्ट (exhaust) को आपके शेल की वेंट्स (vents) से लाइन अप (line up) होना चाहिए। जब आप सब चीजों को लाइन अप करने की कोशिश कर रहे होंगे, तब थोड़ी परेशानी हो सकती है। हीटसिंक तथा पंखे की असेंबली (heatsink and fan assembly) को अंदर घुसाने की कोशिश मत करिए बल्कि उसे हिला डुला कर अंदर डालिए। हो सकता है कि लगाने के लिए कुछ माउंटिंग बोल्ट्स भी हों। अगर आपके मामले में बे में लगाने के लिए फ़ैन डस्ट फ़िल्टर (fan dust filter) भी हो, तब हीटसिंक को डस्ट से क्लॉग (clog) होने से बचाने के लिए एक डस्ट फ़िल्टर लगाइए।
जब तक सही पोज़ीशन न मिल जाये तब तक हीटसिंक को टेढ़ा ही रखिए। इससे थर्मल पेस्ट फिसल कर बाकी हिस्सों में गिरने से भी बचाव होने में मदद मिलेगी।
पंखे के इन्स्टाल हो जाने के बाद उसके पावर वाले तारों को मदरबोर्ड से जोड़ दीजिये। अगर आप पंखे को कनेक्ट नहीं करेंगे, तब लैपटॉप ओवरहीट (overheat) हो कर कुछ मिनट के इस्तेमाल के बाद बंद हो जाएगा।

12. अपने पैनल बंद कर दीजिये: सभी हिस्सों को लगा देने के बाद, आप पैनलों को वापस ओपनिंग्स (openings) पर रख सकते हैं, और उनको स्क्रूज़ से कस दीजिये। आपका लैपटॉप तैयार है!

उसे चालू करना – Turn It On

1. सुनिश्चित करिए कि बैटरी लगी हुई है: बनाने की प्रक्रिया में बैटरी लगाना भूल जाना बहुत आसान है, मगर कंप्यूटर को बूट अप (boot up) करने से पहले सुनिश्चित कर लीजिये कि उसे अंदर घुसा दिया गया है और वह ठीक से चार्ज हो रही है।

2. मेमोरी की जांच करिए: ऑपरेटिंग सिस्टम को इन्स्टाल करने से पहले, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपकी मेमोरी ठीक से काम कर रही है, और आपका कंप्यूटर आम तौर पर ठीक काम कर रहा है, Memtest86+ को रन करिए। Memtest86+ को मुफ़्त में ऑनलाइन डाउनलोड किया जा सकता है और सीडी या यूएसबी ड्राइव से इसे बूट किया जा सकता है।

आप बाईओस (BIOS) का इस्तेमाल करके भी यह जांच सकते हैं कि आपने जो मेमोरी इन्स्टाल की है वह पहचानी जा रही है अथवा नहीं। हार्डवेयर या मॉनिटर सेक्शन में देखिये कि क्या आपकी मेमोरी वहाँ दिख रही है।

3.ऑपरेटिंग सिस्टम इन्स्टाल करिए: अपने से बनाए गए लैपटॉप्स में, आप माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़ या लाइनक्स (Linux) डिस्ट्रीब्यूशन में से कोई एक चुन सकते हैं। विंडोज़ के लिए कीमत देनी पड़ेगी, मगर प्रोग्रामों की एक बड़ी रेंज तथा हार्डवेयर कोंपटिबिलिटी (compatibility) मिलती है। लाइनक्स मुफ़्त है, सुरक्षित है तथा उसे अनेक वोलंटियर डेवलपर (volunteer developers) की कम्यूनिटी (community) से सहायता मिलती है।

चुनने के लिए लाइनक्स के अनेक वर्ज़न उपलब्ध हैं, मगर उनमें से कुछ बहुत लोकप्रिय में उबन्तु (Ubuntu), मिंट (Mint), तथा डेबियन (Debian) शामिल हैं।
हमारी सलाह है कि आप विंडोज़ के रिलीज़ किए गए लेटेस्ट वर्ज़न को ही इन्स्टाल करिए, चूंकि अगर बहुत समय बीत चुका होगा तो, पुराने वर्ज़न्स का सपोर्ट समाप्त होता जाता है।
अगर आपके पास ऑप्टिकल ड्राइव इन्स्टाल की हुई नहीं होगी, तब आपको अपनी ऑपरेटिंग सिस्टम फ़ाइलों से बूट होने में सक्षम यूएसबी ड्राइव बनानी होगी।

4. अपने ड्राइवर इन्स्टाल करिए: एक बार ऑपरेटिंग सिस्टम इन्स्टाल हो जाने के बाद, आपको अपने हार्डवेयर के लिए ड्राइवर इन्स्टाल करने होंगे। अधिकांश आधुनिक ऑपरेटिंग सिस्टमों में इनमें से अधिकतर अपने आप इन्स्टाल हो जाएँगे, मगर एक या दो हिस्सों के लिए आपको मैनुअल इन्स्टाल करने की ज़रूरत पड़ सकती है।
अधिकांश हिस्सों के ड्राइवर उनके साथ डिस्क पर आएंगे। अगर आपका ऑपरेटिंग सिस्टम सही ड्राइवर न खोज सके तब डिस्क का इस्तेमाल करिए।